जीवन को व्यवस्थित करने के लिए संस्कार जरूरी


राजपुरोहित समाज के संत वेदांताचार्य डॉ. ध्यानारामजी महाराज ने कहा
उज्जैन। हमारे जीवन को व्यवस्थित करने के लिए संस्कार सम्मेलनों की महती आवश्यकता है। संस्कार सम्मेलनों के माध्यम से अपने जीवन और भी व्यवस्थित किया जा सकता है। संत वाणी से ही संसार रूपी भवसागर से हम पार हो सकते हैं।
यह बात ब्रह्मधाम आसोतरा के संत वेदांताचार्य डॉ. ध्यानारामजी महाराज ने पिपलीनाका स्थित राजपुरोहित भवन में कही। समाज के बालक-बालिकाओं के संस्कार सम्मेलन में उनके कर्तव्य का बोध कराया गया। उन्होंने कहा कि जहाँ संस्कार है, वहीं हमारी संस्कृति जीवित है। संस्कृति को बचाने के लिए बच्चों में संस्कार सम्मेलनों की जरूरत है। संस्कृति बचेगी तो समाज बचेगा, हम बचेंगे और हमारा देश भी बचेगा। इसलिए आज के व्यस्ततम जीवन में अपने बच्चों में संस्कार लाना जरूरी है, जिनसे संस्कार मिलना थे, वे हमारे दादा-दादी, नाना-नानी और संयुक्त परिवार की टूटन से अवरोधक बन गए हैं।
संतश्री ने कहा कि सत्संग के लिए हमें सब कुछ छोड़कर अर्थात् समयाश्रम और अर्थ का त्याग करना पड़ता है। संस्कार सम्मेलन में रतलाम, मंदसौर, धार, झाबुआ, निमाड़, इंदौर, उज्जैन जिले सहित राजपुरोहित समाज के समाजजन, बच्चे, नारी शक्ति बड़ी संख्या में मौजूद थीं।